सेंट्रल विस्टा
» औपनिवेशिक युग (Colonial era) के दौरान अग्रणी ब्रिटिश ‘वास्तुविदों एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) एवं हर्बर्ट बेकर
(Herbert Baker) ने “सेंट्रल विस्टा परिसर’ (Central Vista Complex) की परिकल्पना की थी।
» इसका उद्घाटन वर्ष 1931 में किया गया था।
» इसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ एवं साउथ ब्लॉक और अभिलेख कार्यालय के साथ-साथ इण्डिया गेट स्मारक और राजपथ के दोनों ओर नागरिक उद्यान (Civie gardens) शामिल थे।
» सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) में ‘राजपथ’ और इण्डिया गेट के उद्यान शामिल हैं।
» राजपथ का पुनर्नामकरण “कर्तव्य पथ’ के रूप में किया गया है।
» सेंट्रल विस्टा विकास/पुनर्विचार परियोजना” (Central Vista Development/Redevelopment Project) की परिकल्पना सितंबर, 2009 में की गई थी।
» यह एक पीढ़ीगत अवसंरचना निवेश परियोजना है, जिसमें 6 वर्षों की अवधि तक विस्तृत अनेक परियोजनाएं शामिल हैं।
इसमें शामिल प्रमुख परियोजनाएं निम्नवत हैं :-
(i) संसद सदस्यों के लिए कक्ष सहित नया संसद भवन
(i) सेंट्रल विस्टा एवेन्यू
(iii) साझा केंद्रीय सचिवालय के 10 भवन
(iv) केंद्रीय सम्मेलन स्थल (Central Conference Centre)
(v) भारत के माननीय उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास इत्यादि।
» इन सभी परियोजनाओं को चरणबद्ध एवं क्रमिक रूप से वर्ष 2026 तक पूरा किया जाना है।
संसद भवन में सेंगोल की स्थापना
» सेन्गोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई ‘ (Semmai) से लिया गया है, जिसका अर्थ है नीतिपरायणता (Righteousness)!
» सेन्गोल (Sengol) श्रद्धेय (revered) होने का एक पवित्र प्रतीक है।
» यह दर्शाता है कि शासक, विधि-नियम (rule of law) के अधीन है।
» स्पष्ट है कि सेन्गोल न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन का एक पवित्र प्रतीक है।
» यह याद दिलाता है कि शासक की शक्तियां निरंकुश नहीं होती हैं।
» शासक धर्म के उच्च मानदण्ड के अधीन है। –
» शासक को इस मार्गदर्शक सिद्धांत का पालन करना होता है।
» भौतिक दृष्टि से, सेन्गोल एक सुंदर हस्त-निर्मित कृति है। जिसके शीर्ष पर भगवान शिव के पवित्र बैल नंदी को नककाशी के माध्यम से चित्रित किया गया है।
» तमिलनाडु में चोल राजाओं (Chola kings) के शासनकाल के दौरान, महायाजकों (high priests) के माध्यम से सेंगोल को ‘एक राजा से दूसरे राजा को सौंप दिया जाता था।
» 4 अगस्त, ।947 को भारत की स्वतंत्रता की पूर्वसंध्या पर एक पवित्र सेन्गोल का निर्माण किया गया।
» इस सेन्गोल को एक तमिल आधीनम् (धार्मिक मठ) द्वारा पण्डित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया, जो अंग्रेजों से भारत को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था।
» श्री अंबलवाण देसिक् स्वामी ने सी. राजगोपालाचारी केअनुरोध पर मद्रास के स्वर्णकार बुम्मिडी बंगारू चेट्टी को सेन्गोल का डिजाइन सौंप कर उसके निर्माण का आदेश दिया था।
» 14 अगस्त 1947 को पण्डित नेहरू द्वारा सेंगोल को प्राप्त करने के बाद, इसे इलाहाबाद संग्रहालय (वर्तमान प्रयागराज) में रखा गया था।